Wednesday 5 May 2021

अनजान शहर

मैं जिस शहर से आता हूँ

उससे मैं कभी नहीं मिला

उसके बीच से एक नदी बहती है

जिसे मैंने कभी नहीं देखा

वहां एक कुआं है जो कहीं नही है

एक पेड़ है जिसकी जड़ है ही नहीं

वहां के लोग सिर्फ सरकारी आंकड़े हैं

मैं जिस शहर से हूं

उस शहर का होना मैंने कभी महसूस नहीं किया

 

बाहर से देख कर मुझे आभास हुआ है कि

मेरा शहर एक पस वाला घाव है

समय की छाती से निकलता हुआ

जिसमे बहते रहते हैं बुद्ध और सम्राट अशोक

इस शहर की नाली इसकी सबसे प्राचीन धरोहर है

जिसमे रोज़ प्रवाहित होती है शहर की सामूहिक चेतना

शहर के केंद्र में विश्व का प्राचीनतम कूड़े का ढेर है

सड़े गले कोचिंगअस्पताल और दफ्तरों के उस ढेर पर

निरंतर भिनभिनाते रहते हैं शहर के सारे लोग

 

पहले मुझे लगता था मेरा शहर एक अंग्रेज़ी स्कूल है

बाद में लगा एक मॉल है या शायद एक रेलवे स्टेशन,

जहां सिर्फ आया या जाया जा सकता है

या एक विशाल मैदान है जिसमे सिर्फ नेता खेल सकते हैं

कभी ये भी लगा कि मेरा शहर एक विशाल ट्रैफिक जाम है

जिसमें 1-1 कट्ठे के निर्जीव मकान अटे हुए हैं स्थिरआदिकाल से

मुझे बहुत देर से समझ आया कि मेरा शहर कुछ नहीं है

इसीलिए वो कुछ भी हो जाने में शर्म महसूस नहीं करता

सफेद पाखंड और काली चतुराई से बुना गया शून्य है ये शहर

 

और क्योंकि मेरा शहर आज कुछ नहीं है

इसलिए मैं भी थोड़ा 'कुछ नहींहूँ आज

और ऐसे ही थोड़ा थोड़ा करके 'कुछ नहींरह जाएंगे हम

दफ्तरपरिवार, प्लास्टिक, टेडी बेयर, फ्लाईओवरहार-जीतऔर कुछ और नहीं

मैं थोड़ा सा हो जाना चाहता हूं गंगा या गौरैया या घाट का पुराना पत्थर

और मेरी अटूट उम्मीद है कि

एक दिन मैं थोड़ा सा अपना शहर हो पाऊंगा

फिर कभी हो जाऊंगा थोड़ा सा अपना देश

और अंत में मैं चाहता हूँ थोड़ा सा ब्रह्मांड हो जाना